भारत आए पहले अमेरिकी राष्ट्रपति को नेहरू ने आम खिलाए:मोदी ने ओबामा को परोसा गाजर का हलवा; भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों को क्या खिलाया

 मोदी ने ओबामा को परोसा गाजर का हलवा; भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों को क्या खिलाया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 दिन के दौरे पर अमेरिका में हैं। गुरुवार को स्टेट डिनर के दौरान मोदी के सामने शुद्ध शाकाहारी भोजन पेश किया गया। इसमें नींबू-डिल दही सॉस, कुरकुरा बाजरा केक, मसालेदार बाजरा, कम्प्रेस्ड तरबूज, भरवां पोर्टोबेलो मशरूम, मलाईदार केसर वाला रिसोट्टो, गुलाब और इलायची वाला स्ट्रॉबेरी शॉर्टकेक शामिल रहे।

भारत आए पहले अमेरिकी राष्ट्रपति को नेहरू ने आम खिलाए:मोदी ने ओबामा को परोसा गाजर का हलवा; भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों को क्या खिलाया




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 दिन के दौरे पर अमेरिका में हैं। गुरुवार को स्टेट डिनर के दौरान मोदी के सामने शुद्ध शाकाहारी भोजन पेश किया गया। इसमें नींबू-डिल दही सॉस, कुरकुरा बाजरा केक, मसालेदार बाजरा, कम्प्रेस्ड तरबूज, भरवां पोर्टोबेलो मशरूम, मलाईदार केसर वाला रिसोट्टो, गुलाब और इलायची वाला स्ट्रॉबेरी शॉर्टकेक 


इससे पहले भारत आए अमेरिकी राष्ट्रपतियों के स्टेट डिनर का मेन्यू भी कई बार चर्चा का विषय रहा है। डिनर और ऑफिशियल लंच के जरिए हर बार अमेरिका के सामने पूरे भारत की झलक पेश की गई। भारत आए पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर के लिए अमेरिका से बार्ले वॉटर और दूसरे देशों से स्टेक मंगवाया गया था। वहीं रिचर्ड निक्सन तो वेजिटेरियन खाना देखकर नाराज होकर लौट गए थे।


आज हम आपको बताएंगे कि अब तक कौन-कौन अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आ चुके हैं, उनकी यात्रा का मकसद क्या रहा है और इस दौरान उनके सामने खाने के लिए क्या-क्या पेश किया गया…


ड्वाइट आइजनहावर (दिसंबर 1959)- ताजे फल और अमेरिका का बार्ले वॉटर

अमेरिका के ड्वाइट आइजनहावर वो पहले राष्ट्रपति थे जो भारत दौरे पर आए थे। ये दौरा ऐसे वक्त पर हुआ था जब भारत भयंकर सूखे से उबर रहा था और देश में महंगाई अपने चरम पर थी। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और फॉरेन एक्सचेंज बेहद कम था। इसके अलावा भारत को लोकतांत्रिक देश के तौर पर उभरता देख अमेरिका, रूस के प्रभाव को भी कम करना चाहता था। जब ड्वाइट राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे तो उन्हें सबसे पहले द्वारका सुइट के सिटिंग रूम में कॉफी पिलाई गई थी।

ड्वाइट स्टेक और डीकैफ कॉफी के शौकीन थे। उस वक्त भारत में ये सामान नहीं मिलता था। विदेश मंत्रालय ने इसे खास दूसरे देशों से मंगवाया था। अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए खाना बनाने वाले शेफ को सख्त हिदायत दी गई थी कि उनके खाने में फैटी ऐसिड बिलकुल भी मौजूद न हो। ड्वाइट को ताजे फल और खासकर आम काफी पसंद थे, इसलिए उनके लिए सबसे बेहतरीन क्वालिटी के आमों की व्यवस्था की गई थी। जिस रूम में वो ठहरे थे वहां भी आम रखे गए थे ताकि वो बीच में भी उसे खा सकें।


साथ ही राष्ट्रपति के लिए अमेरिका से खास बार्ले वॉटर भी मंगवाया गया था। ड्वाइट पूरी व्यवस्था से काफी खुश हुए थे और उन्होंने राष्ट्रपति भवन के स्टाफ का शुक्रियादा भी किया था।


रिचर्ड निक्सन (अगस्त, 1969)- शाकाहारी खाना देख नाराज हुए

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारत में सिर्फ 23 घंटे रुके थे। निक्सन पाकिस्तानी सपोर्टर थे और वो भारत की गुटनिरपेक्ष नीति के खिलाफ थे। उस वक्त अमेरिका का मानना था कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। वो भारत को सोवियत संघ की कठपुतली मानते थे। अल जजीरा के मुताबिक, रिचर्ड के इस दौरे का फोकस इंदिरा गांधी से रिश्ते सुधारना था। दरअसल, वो भारत और इंदिरा गांधी को लेकर कई मौकों पर रेसिस्ट कमेंट कर चुके थे।

भारत आए थे तब नेहरू सरकार के सीनियर मिनिस्टर मोरारजी देसाई ने उनका स्वागत किया था। देसाई ने निक्सन के लिए खाने में सिर्फ वेजिटेरियन डिश ही रखी थीं, जबकि निक्सन नॉन-वेज और अल्कोहल के खासा शौकीन थे। देसाई की खातिरदारी से नाराज होकर निक्सन भारत से चले गए थे। उनके दौरे में अगला स्टॉप पाकिस्तान था। यहां उनके स्वागत में कई तरह के गोश्त और दूसरी नॉन-वेज डिश रखी गई थीं। इससे निक्सन पाकिस्तान से और प्रभावित हो गए थे।


इसके बाद जब बांग्लादेश के पाकिस्तान से अलग होने पर 1971 में जंग हुई तो अमेरिका में रिचर्ड निक्सन राष्ट्रपति बन चुके थे। उन्होंने इस वॉर में पाकिस्तान का साथ दिया था।


बिल क्लिंटन (मार्च, 2000)- ITC मौर्या होटल का प्रेसिडेंट प्लैटर

रिचर्ड निक्सन के बाद 1978 में जिमी कार्टर भारत आए थे। उनके बाद अगले 20 सालों तक किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत यात्रा नहीं की। साल 2000 में इस ब्रेक को तोड़ते हुए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन अपनी बेटी के साथ 5 दिन के दौरे पर भारत आए थे। उनकी यात्रा का मकसद भारत और अमेरिका के रिश्तों को नए सिरे से लिखना था।

1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद ग्लोबल पॉलिटिक्स में कई बदलाव आए थे। टाइम के मुताबिक, ग्लोबल फोरम में पाकिस्तान का साथ देने वाले अमेरिका ने पहली बार 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भारत का साथ दिया था। जंग के खत्म होने के बाद 2000 में क्लिंटन भारत आए। अटल बिहारी वाजपेयी के अध्यक्षता में क्लिंटन का धूमधाम से स्वागत हुआ। भारत की संसद में उनकी स्पीच को भी काफी सराहना मिली। क्लिंटन सबसे ज्यादा दिनों तक भारत दौरे पर रहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बने।


क्लिंटन के सम्मान में दिल्ली के मशहूर ITC मौर्या होटल ने पहली बार अपने 2 प्लैटर किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को डेडिकेट किए। इनमें से एक प्लैटर का नाम प्रेसिडेंट प्लैटर है जिसमें वो नॉन-वेज डिश हैं जिन्हें क्लिंटन ने खुद पसंद किया था। इसमें मुर्ग तंदूरी, मुर्ग मलाई, सीख कबाब, दाल बुखारा, रायता और कुल्फी शामिल हैं। वहीं एक दूसरे प्लैटर को क्लिंटन की बेटी चेल्सी के नाम पर रखा गया। चेल्सी प्लैटर में सभी वेजिटेरियन डिश शामिल हैं।


जॉर्ज बुश (मार्च, 2006)- डिनर में फिश टिक्का, खीरे का रायता

क्लिंटन के दौरे के 6 साल बाद राष्ट्रपति जॉर्ज बुश भारत आए थे। इसी यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट हुआ था। इसके बाद भारत इकलौता ऐसा देश बन गया जो न्यूक्लियर प्रॉलिफेरेशन ट्रीटी का हिस्सा नहीं होने के बावजूद न्यूक्लियर ट्रेड करने वाला देश बन गया। इस अग्रीमेंट के तहत भारत ने अमेरिका की 2 शर्तें मानी थीं।

पहली- भारत अपनी नागरिक और सैन्य परमाणु गतिविधियों को अलग-अलग स्थापित करेगा। दूसरी- न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी मिलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी IAEA भारत के परमाणु केंद्रों की निगरानी करेगी। इसके बदले अमेरिका ने भारत पर न्यूक्लियर ट्रेड को लेकर लगे बैन को हटा दिया। 2008 में न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप' ने अमेरिका के कहने पर भारत को परमाणु व्यापार के लिए विशेष छूट देने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद बुश और तत्कालीन PM मनमोहन सिंह ने न्यूक्लियर डील पर ऑफिशियली साइन किया था।


भारत दौरे के वक्त जॉर्ज के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में स्टेट डिनर आयोजित किया था। इसकी मेजबानी तत्कालीन राष्ट्रपति APJ अब्दुल कलाम ने की थी। उस वक्त बर्ड फ्लू काफी तेजी से फैल रहा था। ऐसे में मेन्यू से चिकन से जुड़ी सभी डिश को हटा दिया गया था। उसकी जगह मटन कोरमा और फिश तंदूरी को शामिल किया गया था। इसके अलावा राष्ट्रपति बुश के लिए पनीर तंदूरी, डोसा, खीरे का रायता, फिश टिक्का, ताजे फल और मीठे में मूंग दाल का हलवा बनाया गया था।


बराक ओबामा (नवंबर, 2010 और जनवरी, 2015)- कम मसाले का खाना, डेजर्ट में मालपुआ

बराक ओबामा इकलौते ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जो 2 बार भारत दौरे पर आ चुके हैं। 2010 में भारत यात्रा के दौरान ओबामा ने युनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) भारत की परमानेंट मेंबरशिप का समर्थन किया। इसके अलावा दोनों देशों के बीच 10 अरब डॉलर की ट्रेड डील भी हुई थी। साथ ही डिफेंस और नेशनल सिक्योरिटी को लेकर कई समझौते हुए थे।

भारत आए पहले अमेरिकी राष्ट्रपति को नेहरू ने आम खिलाए:मोदी ने ओबामा को परोसा गाजर का हलवा; भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपतियों को क्या खिलाया


34 मिनट पहले


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 दिन के दौरे पर अमेरिका में हैं। गुरुवार को स्टेट डिनर के दौरान मोदी के सामने शुद्ध शाकाहारी भोजन पेश किया गया। इसमें नींबू-डिल दही सॉस, कुरकुरा बाजरा केक, मसालेदार बाजरा, कम्प्रेस्ड तरबूज, भरवां पोर्टोबेलो मशरूम, मलाईदार केसर वाला रिसोट्टो, गुलाब और इलायची वाला स्ट्रॉबेरी शॉर्टकेक 


इससे पहले भारत आए अमेरिकी राष्ट्रपतियों के स्टेट डिनर का मेन्यू भी कई बार चर्चा का विषय रहा है। डिनर और ऑफिशियल लंच के जरिए हर बार अमेरिका के सामने पूरे भारत की झलक पेश की गई। भारत आए पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर के लिए अमेरिका से बार्ले वॉटर और दूसरे देशों से स्टेक मंगवाया गया था। वहीं रिचर्ड निक्सन तो वेजिटेरियन खाना देखकर नाराज होकर लौट गए थे।


आज हम आपको बताएंगे कि अब तक कौन-कौन अमेरिकी राष्ट्रपति भारत आ चुके हैं, उनकी यात्रा का मकसद क्या रहा है और इस दौरान उनके सामने खाने के लिए क्या-क्या पेश किया गया…


ड्वाइट आइजनहावर (दिसंबर 1959)- ताजे फल और अमेरिका का बार्ले वॉटर

अमेरिका के ड्वाइट आइजनहावर वो पहले राष्ट्रपति थे जो भारत दौरे पर आए थे। ये दौरा ऐसे वक्त पर हुआ था जब भारत भयंकर सूखे से उबर रहा था और देश में महंगाई अपने चरम पर थी। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और फॉरेन एक्सचेंज बेहद कम था। इसके अलावा भारत को लोकतांत्रिक देश के तौर पर उभरता देख अमेरिका, रूस के प्रभाव को भी कम करना चाहता था। जब ड्वाइट राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे तो उन्हें सबसे पहले द्वारका सुइट के सिटिंग रूम में कॉफी पिलाई गई थी।


देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के न्योते पर ड्वाइट आइजनहावर भारत आने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे।

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के न्योते पर ड्वाइट आइजनहावर भारत आने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे।

ड्वाइट स्टेक और डीकैफ कॉफी के शौकीन थे। उस वक्त भारत में ये सामान नहीं मिलता था। विदेश मंत्रालय ने इसे खास दूसरे देशों से मंगवाया था। अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए खाना बनाने वाले शेफ को सख्त हिदायत दी गई थी कि उनके खाने में फैटी ऐसिड बिलकुल भी मौजूद न हो। ड्वाइट को ताजे फल और खासकर आम काफी पसंद थे, इसलिए उनके लिए सबसे बेहतरीन क्वालिटी के आमों की व्यवस्था की गई थी। जिस रूम में वो ठहरे थे वहां भी आम रखे गए थे ताकि वो बीच में भी उसे खा सकें।


साथ ही राष्ट्रपति के लिए अमेरिका से खास बार्ले वॉटर भी मंगवाया गया था। ड्वाइट पूरी व्यवस्था से काफी खुश हुए थे और उन्होंने राष्ट्रपति भवन के स्टाफ का शुक्रियादा भी किया था।


रिचर्ड निक्सन (अगस्त, 1969)- शाकाहारी खाना देख नाराज हुए

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारत में सिर्फ 23 घंटे रुके थे। निक्सन पाकिस्तानी सपोर्टर थे और वो भारत की गुटनिरपेक्ष नीति के खिलाफ थे। उस वक्त अमेरिका का मानना था कि भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। वो भारत को सोवियत संघ की कठपुतली मानते थे। अल जजीरा के मुताबिक, रिचर्ड के इस दौरे का फोकस इंदिरा गांधी से रिश्ते सुधारना था। दरअसल, वो भारत और इंदिरा गांधी को लेकर कई मौकों पर रेसिस्ट कमेंट कर चुके थे।


बतौर राष्ट्रपति भारत आने के बाद रिचर्ड निक्सन सिर्फ 23 घंटे ही यहां रुके थे। वो इससे पहले भी 1960 में भारत आए थे।

बतौर राष्ट्रपति भारत आने के बाद रिचर्ड निक्सन सिर्फ 23 घंटे ही यहां रुके थे। वो इससे पहले भी 1960 में भारत आए थे।

राष्ट्रपति बनने से पहले 1960 के दशक में जब निक्सन भारत आए थे तब नेहरू सरकार के सीनियर मिनिस्टर मोरारजी देसाई ने उनका स्वागत किया था। देसाई ने निक्सन के लिए खाने में सिर्फ वेजिटेरियन डिश ही रखी थीं, जबकि निक्सन नॉन-वेज और अल्कोहल के खासा शौकीन थे। देसाई की खातिरदारी से नाराज होकर निक्सन भारत से चले गए थे। उनके दौरे में अगला स्टॉप पाकिस्तान था। यहां उनके स्वागत में कई तरह के गोश्त और दूसरी नॉन-वेज डिश रखी गई थीं। इससे निक्सन पाकिस्तान से और प्रभावित हो गए थे।


इसके बाद जब बांग्लादेश के पाकिस्तान से अलग होने पर 1971 में जंग हुई तो अमेरिका में रिचर्ड निक्सन राष्ट्रपति बन चुके थे। उन्होंने इस वॉर में पाकिस्तान का साथ दिया था।


बिल क्लिंटन (मार्च, 2000)- ITC मौर्या होटल का प्रेसिडेंट प्लैटर

रिचर्ड निक्सन के बाद 1978 में जिमी कार्टर भारत आए थे। उनके बाद अगले 20 सालों तक किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत यात्रा नहीं की। साल 2000 में इस ब्रेक को तोड़ते हुए तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन अपनी बेटी के साथ 5 दिन के दौरे पर भारत आए थे। उनकी यात्रा का मकसद भारत और अमेरिका के रिश्तों को नए सिरे से लिखना था।


पूर्व राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर के 20 साल बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के न्योते पर बिल क्लिंटन भारत आए थे।

पूर्व राष्ट्रपति जिम्मी कार्टर के 20 साल बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के न्योते पर बिल क्लिंटन भारत आए थे।

1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद ग्लोबल पॉलिटिक्स में कई बदलाव आए थे। टाइम के मुताबिक, ग्लोबल फोरम में पाकिस्तान का साथ देने वाले अमेरिका ने पहली बार 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भारत का साथ दिया था। जंग के खत्म होने के बाद 2000 में क्लिंटन भारत आए। अटल बिहारी वाजपेयी के अध्यक्षता में क्लिंटन का धूमधाम से स्वागत हुआ। भारत की संसद में उनकी स्पीच को भी काफी सराहना मिली। क्लिंटन सबसे ज्यादा दिनों तक भारत दौरे पर रहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बने।


क्लिंटन के सम्मान में दिल्ली के मशहूर ITC मौर्या होटल ने पहली बार अपने 2 प्लैटर किसी अमेरिकी राष्ट्रपति को डेडिकेट किए। इनमें से एक प्लैटर का नाम प्रेसिडेंट प्लैटर है जिसमें वो नॉन-वेज डिश हैं जिन्हें क्लिंटन ने खुद पसंद किया था। इसमें मुर्ग तंदूरी, मुर्ग मलाई, सीख कबाब, दाल बुखारा, रायता और कुल्फी शामिल हैं। वहीं एक दूसरे प्लैटर को क्लिंटन की बेटी चेल्सी के नाम पर रखा गया। चेल्सी प्लैटर में सभी वेजिटेरियन डिश शामिल हैं।


जॉर्ज बुश (मार्च, 2006)- डिनर में फिश टिक्का, खीरे का रायता

क्लिंटन के दौरे के 6 साल बाद राष्ट्रपति जॉर्ज बुश भारत आए थे। इसी यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट हुआ था। इसके बाद भारत इकलौता ऐसा देश बन गया जो न्यूक्लियर प्रॉलिफेरेशन ट्रीटी का हिस्सा नहीं होने के बावजूद न्यूक्लियर ट्रेड करने वाला देश बन गया। इस अग्रीमेंट के तहत भारत ने अमेरिका की 2 शर्तें मानी थीं।


जॉर्ज बुश की भारत यात्रा के वक्त ही दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट हुआ था।

जॉर्ज बुश की भारत यात्रा के वक्त ही दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट हुआ था।

पहली- भारत अपनी नागरिक और सैन्य परमाणु गतिविधियों को अलग-अलग स्थापित करेगा। दूसरी- न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी मिलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी IAEA भारत के परमाणु केंद्रों की निगरानी करेगी। इसके बदले अमेरिका ने भारत पर न्यूक्लियर ट्रेड को लेकर लगे बैन को हटा दिया। 2008 में न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप' ने अमेरिका के कहने पर भारत को परमाणु व्यापार के लिए विशेष छूट देने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद बुश और तत्कालीन PM मनमोहन सिंह ने न्यूक्लियर डील पर ऑफिशियली साइन किया था।


भारत दौरे के वक्त जॉर्ज के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में स्टेट डिनर आयोजित किया था। इसकी मेजबानी तत्कालीन राष्ट्रपति APJ अब्दुल कलाम ने की थी। उस वक्त बर्ड फ्लू काफी तेजी से फैल रहा था। ऐसे में मेन्यू से चिकन से जुड़ी सभी डिश को हटा दिया गया था। उसकी जगह मटन कोरमा और फिश तंदूरी को शामिल किया गया था। इसके अलावा राष्ट्रपति बुश के लिए पनीर तंदूरी, डोसा, खीरे का रायता, फिश टिक्का, ताजे फल और मीठे में मूंग दाल का हलवा बनाया गया था।


बराक ओबामा (नवंबर, 2010 और जनवरी, 2015)- कम मसाले का खाना, डेजर्ट में मालपुआ

बराक ओबामा इकलौते ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जो 2 बार भारत दौरे पर आ चुके हैं। 2010 में भारत यात्रा के दौरान ओबामा ने युनाइटेड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल (UNSC) भारत की परमानेंट मेंबरशिप का समर्थन किया। इसके अलावा दोनों देशों के बीच 10 अरब डॉलर की ट्रेड डील भी हुई थी। साथ ही डिफेंस और नेशनल सिक्योरिटी को लेकर कई समझौते हुए थे।


बराक ओबामा 2 बार भारत का दौरा करने वाले इकलौते अमेरिकी राष्ट्रपति हैं।

बराक ओबामा 2 बार भारत का दौरा करने वाले इकलौते अमेरिकी राष्ट्रपति हैं।

दूसरी बार ओबामा 2015 में रिपब्लिक डे पर बतौर गेस्ट शामिल हुए थे। शुरुआती दौर में ये यात्रा काफी अच्छी रही थी। लोगों को संबोधित करते हुए ओबामा ने हिन्दी शब्दों का इस्तेमाल किया था जो भारत के लोगों को काफी पसंद आया था। हालांकि, बाद में उन्होंने कहा था कि भारत तब तक सफल रहेगा जब तक वो धर्म के आधार पर भी जुड़ा रहेगा। अमेरिका लौटने पर भी उन्होंने भारत की एकता पर सवाल उठाए थे। इसके बाद उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।


राष्ट्रपति भवन में स्टेट डिनर के दौरान ओबामा के सामने नॉर्थ से लेकर साउथ तक की कई मशहूर डिश रखी गई थीं। इन्हें इंडिया ऑन अ प्लैटर नाम दिया गया था। इस मेन्यू में गलौटी कबाब, फिश टिक्का, चिकन मलाई टिक्का, पनीर टिक्का, चिकन कोरमा, दाल, पुलाओ, कढ़ी, छोले, पापड़, तंदूरी रोटी, नान जैसी कई डिश शामिल थीं। इसके अलावा मीठे में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को मालपुआ और रबड़ी खिलाई गई थी।


इसके अलावा PM मोदी के साथ लंच के दौरान ओबामा को पनीर लबाबदार, गुलाब जामुन और गाजर का हलवा खिलाया गया था। वो एसिड रिफलक्स से परेशान थे इसलिए उन्होंने तीखा खाना नहीं खाया था।


डोनाल्ड ट्रम्प (फरवरी 2020)- पहले समोसा, फिर आलू टिक्की चाट और पालक पापड़ी

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प फरवरी 2020 में 2 दिन के दौरे पर भारत आए थे। इस दौरान वो 3 शहर गए थे। इनमें अहमदाबाद, आगरा और नई दिल्ली शामिल थे। ट्रम्प की भारत दौरे की शुरुआत अहमदाबाद से हुई थी, जिसे नमस्ते ट्रम्प नाम दिया गया था। उनकी यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 3 अरब डॉलर की डिफेंस डील हुई थी। भारत ने अमेरिका से 24 MH-60 रोमियो हेलीकॉप्टर सहित 6 AH-64E अपाचे हेलीकॉप्टर खरीदने का समझौता किया था।

अहमदाबाद के गांधी आश्रम में ट्रम्प के सामने शुद्ध शाकाहारी खाना रखा गया था। इसमें नारियल का पानी, ऑरेंज जूस, लेमन और ग्रीन टी, असॉर्टेड कुकीज, भुने हुए काजू-बादाम, छुआरा, खमन, ब्रॉकली और कॉर्न की फिलिंग वाला समोसा, ताजे फल, एप्पल पाई और काजू कतली शामिल थी।


हालांकि, ट्रम्प नॉन-वेज और खासकर बीफ-हैमबर्गर के शौकीन है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रम्प और उनकी पत्नी मिलानिया ट्रम्प ने गांधी आश्रम में कुछ भी खाने से इनकार कर दिया था।


इसके बाद राष्ट्रपति भवन में स्टेट डिनर के दौरान उनके सामने आलू टिक्की चाट, पालक पापड़ी, अंजीर मलाई कोफ्ता, दाल, बिरयानी, तंदूरी-मिस्सी रोटी, दम गोश्त, मटन, मिन्ट रायता, मालपुआ-रबड़ी रोल रखा गया था। हालांकि, स्टेट डिनर में उन्होंने सभी डिश में से क्या खाया, इसकी जानकारी सामने नहीं आई थी। sabharhttps://www.bhaskar.com

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