ब्रह्मांड विज्ञान अभी नहीं जानता कि 23 प्रतिशत पदार्थ का रंग रूप क्या है और शेष 73 प्रतिशत किस प्रकार की ऊर्जा है, अर्थात् विज्ञान अभी ब्रह्मांड का निर्माण करने वाले पदार्थ तथा अपदार्थ (ऊर्जा) का मात्र 4 प्रतिशत ही जानता है। इस घोर अज्ञान के लिए 'विज्ञान' को कोई खेद प्रकट करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि इस ‘अज्ञान' का जानना भी एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। ब्रह्मांड विज्ञान ने हमें ज्ञान दिया है कि ब्रह्मांड का उद्भव 13.7 अरब वर्ष पहले हुआ था, कि उसका विकास किस तरह हुआ, अर्थात् किस तरह ग्रह, तारे, मंदाकिनियां, मंदाकिनियों के समूह और किस तरह इन समूहों की चादरें निर्मित हुई; कि ब्रह्मांड में पदार्थ इतनी दूर-दूर क्यों हैं; कि पदार्थ और प्रति पदार्थ का निर्माण हुआ था किंतु अब हमारे देखने में केवल पदार्थ ही है; कि दिक और काल निरपेक्ष नहीं वरन् वेग के सापेक्ष हैं कि वे चार आयामों में गुंथे हुए हैं; कि दिक का वेग के साथ संकुचन होता है और काल का विस्फारण; कि ब्रह्मांड की दशा स्थाई नहीं है वरन् उसका प्रसार हो रहा है और वह भी त्वरण के साथ; कि एक और 'जगत' है जो हमें दिखता नहीं ह...
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