सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

टच स्क्रीन आप के कलाई पर होगा

वैज्ञानिक युग के क्या संभव हो जाएगा यह कहा नहीं जा सकता है अब टच स्क्रीन के सम्बन्ध में इक क्रांती आ गयी है जो कलाई पर होगा, वैज्ञानिको के अन्तराष्ट्रीय दल ने इस तकनीक का नाम दिया है ' स्कीन पुट' यह उपकरण ब्यक्ति के हाथ में कलाई से कोहनी तक के हिस्से को टच स्क्रीन में बदल देगा चाहे मनपसंद संगीत सुनना हो या काल मिलानी हो , ब्यक्ति को दूसरे हाथ की उंगलियों से इस हिस्से की त्वचा को छूना भर होगा यह उपकरण ध्वनिक सेंसर और मिनी प्रोजेक्टर से चलेगा इसे ब्लू ट्रुथ जैसी वायर लेस सेवा से आसानी से जोड़ा जा सकेगा इसको तकनीक के जरिए मोबाईल , कम्पूटर , आई पाड, से आसानी से जोड़ा जा सकता है

टिप्पणियाँ

  1. nice information.. sach much technology bahut tarakki kar rahi hai.. shukriya article share karne ke liye..
    Pls Visit My Blog

    Music Bol
    Real Ghost and Paranormal

    जवाब देंहटाएं
  2. duniya me roj naye naye aavishkaar ho rahe hai ,jiske fayde hum utha rahe hai ,badhai gantantra divas ki .

    जवाब देंहटाएं
  3. touch screen ka kalai per hona kya kya labh hani karega,manav jati ke liye kitna useful hoga
    in baato per bhi prakash dale to topic aur bhi rochak ho jayega aur hum sabhi ko aapke gyan ka prasad mil sakega.Thanks for the information.

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

संभोग में आसनों के विभिन्न प्रकार

 वन डे ई विल डे नामक कामशास्त्री ने अपनी पुस्तक आइडियल मैरिज में आसनों के वर्गीकरण का आधार स्त्री व पुरुष के शरीर की स्थिति को बताया है जबकि महर्षि वात्सायन नामक कामशास्त्री ने अपनी पुस्तक कामसूत्र में आसनों का उच्चतरतोपयोगी नीचरतो पयोगी के रूप में विभाजित किया है जो अधिक व्यवहारिक व वैज्ञानिक है हमारे विचार से विभिन्न आसनों का विभाजन या वर्गीकरण करने का प्रयास ना तो पूर्णता सफल है ना ही विशेष आवश्यक है वास्तव में आसनों का विभाजन करना बहुत कठिन कार्य है इंद्रधनुष में कौन सा रंग कहां से प्रारंभ होता है और कहां समाप्त कहना कठिन है तथापि स्वयं इंद्रधनुषी छटा बड़ी मनोहारी और चिता चिता कर सकती है इसी तरह से काम के आकाश में छाए मिथुन की विविध आसन होते तो फिर दाग राही और अलौकिक आनंद की वर्षा करने वाले ही हैं फिर भी सुविधा की दृष्टि से प्रमुख व्यवहारिक आसनों को निम्नलिखित वर्गों में उनके गुण और दोष देते हुए वर्गीकृत किया गया है प्रथम वर्ग उत्तान वे आसन जिसमें स्त्री पीठ के बल लेट थी और पुरुष सामने से ऊपर आकर मिथुन करता है द्वितीय वर्ग आनत वे अपन जिसमें स्त्री पेट के बल पर लेटती है और पुरुष पीस

कहानी राजा भरथरी (भर्तृहरि) की

  ========================= उज्जैन में  भरथरी  की गुफा स्थित है।  इसके संबंध में यह माना जाता है कि यहां भरथरी ने तपस्या की थी। यह गुफा शहर से बाहर एक सुनसान इलाके में है।  गुफा के पास ही शिप्रा नदी बह रही है।  गुफा के अंदर जाने का रास्ता काफी छोटा है। जब हम इस गुफा के अंदर जाते हैं तो सांस लेने में भी कठिनाई महसूस होती है। गुफा की ऊंचाई भी काफी कम है, अत: अंदर जाते समय काफी सावधानी रखनी होती है।  यहाँ पर एक गुफा और है जो कि पहली गुफा से छोटी है। यह  गोपीचन्द कि गुफा है जो कि भरथरी का भतीजा था। यहां प्रकाश भी काफी कम है, अंदर रोशनी के लिए बल्ब लगे हुए हैं। इसके बावजूद गुफा में अंधेरा दिखाई देता है। यदि किसी व्यक्ति को डर लगता है तो उसे गुफा के अंदर अकेले जाने में भी डर लगेगा।  यहां की छत बड़े-बड़े पत्थरों के सहारे टिकी हुई है। गुफा के अंत में राजा भर्तृहरि की प्रतिमा है और उस प्रतिमा के पास ही एक और गुफा का रास्ता है। इस दूसरी गुफा के विषय में ऐसा माना जाता है कि यहां से चारों धामों का रास्ता है। गुफा में भर्तृहरि की प्रतिमा के सामने एक धुनी भी है, जिसकी राख हमेशा गर्म ही रहती है। गौर

स्वामी विवेकानंद – एक क्रांतिकारी सन्यासी

स्वमी विवेकानंद को रामकृष्ण परमहंस ने पहली बार समाधि का अनुभव कराया था। जानते हैं कि गुरु रामकृष्ण परमहंस के साथ रहकर उनमें क्या बदलाव आए और क्या अनुभव हुए...   सौ साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी आज भी विवेकानंद युवाओं के प्रिय हैं। आखिर कैसे? कैसा था उनका जीवन? क्या खास किया था उन्होंने ? स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में विश्वनाथ दत्ता और भुवनेश्वरी देवी के घर नरेंद्र नाथ दत्त के रूप में हुआ था। 4 जुलाई, 1902 को बेलूर मठ में उनका देहांत हुआ। अपने देहांत तक उन्होंने एक ऐसी क्रांति ला दी थी, जिसकी गूंज आज तक दुनिया भर में है। अपने गुरु के संदेश वाहक के रूप में, वह एक शताब्दी से दुनिया भर के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत रहे हैं। इस लेख में, सद्गुरु स्वामी विवेकानंद के जीवन की कुछ घटनाओं के बारे में बता रहे हैं जिनसे यह पता चलता है कि अपने गुरु के साथ उनका क्या रिश्ता था और वह उनका कौन सा संदेश लोगों में फैलाना चाहते थे। रामकृष्ण परमहंस को दिव्यज्ञान प्राप्त होने के बाद, उनके बहुत सारे शिष्य बन गए। उनके एक शिष्य थे, स्वामी विवेकानंद। विवेकानंद अमेरिका जाने वाले प