शनिवार, 23 जनवरी 2021
चमकदार मशरूम की खोज
ब्राजील के वर्षा वनों में वैज्ञानिकों को फिर से वह मशरूम मिल गई है जो 1840 के बाद से नहीं देखी गई थी इस चमकदार मशरूम की खोज सन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डेनिस डेस जार्डिन और उनक टीम द्वारा की गई है या मशरूम अंधेरे में इतनी तेजी से चमकती है कि उसके प्रकाश में अखबार पढ़ा जा सकता है शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इसकी खोज के बाद वे इस बात का पता लगाने में सफल होंगे कि क्यों कुछ फंगस में चमकने की क्षमता होती है वैज्ञानिकों ने इस मशरूम को फिर से नियमों को पाना गार्डनर के नाम से वर्गीकृत किया है न्यू नोट ओपनस गार्डनर को आखरी बार 1840 में ब्रिटिश वनस्पति विज्ञानी जॉर्ज गार्डनर ने तब देखा था जब कुछ बच्चे इस प्रकार चमकदार मशरूम से खेल रहे थे इस मशरूम के हरे प्रकाश का पता लगाने के लिए डॉ डेस जारटिन और उनके सहयोगियों को कई सप्ताह तक अंधेरी रातों में ब्राजील के जंगलों में भटकना पड़ा तथा डिजिटल कैमरों की मदद से वे रात में चमक रहे इस मशरूम की फोटो कैमरे में उतारने में सफल रहे जेलीफिश और जुगनू ऐसे ही कुछ जंतु है जो चमक पैदा करते हैं बैटरी ओं से संगी संगी और मछली से की रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा इस तरह चमक पैदा करते हैं लेकिन खोजे के मसलों को लेकर अभी यह स्पष्ट नहीं है या किस प्रकार अंधेरे में चमक पैदा करता है
रविवार, 16 फ़रवरी 2014
स्वास्थ्य के लिए चमत्कारी स्टेम सेल
रूसी डाक्टरों ने निराशाजनक स्थिति में पहुँच चुके कैंसर रोगियों को पुनः पैरों पर खडा करने की तरकीब ढूंढ निकाली है| पश्चिमी साइबेरिया के एक छोटे नगर युगरा के डाक्टर स्टेम सेल की मदद से रक्त कैंसर का सफलतापूर्वक इलाज कर रहे हैं| इन जादुई स्टेम सेलों से किसी भी प्रकार के यानी लीवर, हड्डी या रक्त आदि के सेल बनाए जा सकते हैं| दिमित्री कुदाश्किन पहले ऐसे रोगी थे, जिनकी कोशिकाओं का प्रत्यार्पण कर युगरा में पहली बार तीन साल पहले ऐसा इलाज किया गया था| 32 वर्ष की उम्र में दिमित्री मल्टीप्ल मिएलोमा रोग के शिकार पाए गए थे| मल्टीप्ल मिएलोमा रक्त की सबसे घातक बीमारियों में से एक है| उनके बचने की लगभग कोई उम्मीद नहीं रह गयी थी|उनके सेल प्रत्यार्पण आपरेशन के बाद अब तक तीन साल बीत चुके हैं| इस दौरान युगरा के डाक्टर 34 और सफल सेल प्रत्यार्पण आपरेशन कर चुके हैं| वर्तमान में सभी रोगी खुद को स्वस्थ बता रहे हैं, लेकिन डाक्टर इस बात से इनकार नहीं करते कि जोखिम अभी भी बने हुए हैं| युगरा स्वास्थ्य विभाग के उप-निदेशक सेर्गेई शूकिन बताते हैं कि उन रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ती ही जा रही है, जिन्हें सेल प्रत्यार्पण की आवश्यकता है| वह आगे कहते हैं:इस बीमारी का इलाज स्टेम सेल प्रत्यार्पण विधि से करना वर्तमान में न केवल रूस में बल्कि समस्त दुनिया में एकमात्र सफल तरीका माना जा रहा है| इस इलाज में लगभग चार लाख बीस हज़ार डालर लगते हैं| लेकिन हमारे यहाँ युगरा में यह इलाज हम मुफ्त में करते हैं| स्थानीय राजकीय कोष से इसके लिए फंड आबंटित किया जाता है|स्टेम सेल प्रत्येक शरीर में पाए जाते हैं| मनुष्य जब सोता है तब यह सेल क्षतिग्रस्त टिशू और अंगों की बहाली का काम करते हैं| लेकिन उम्र के साथ साथ शरीर में यह सेल घटते जाते हैं| जन्म के समय गर्भनाल रक्त में प्रत्येक दस हज़ार दूसरी कोशिकाओं में एक स्टेम सेल होता है, सोलह साल की उम्र में पांच लाख दूसरी कोशिकाओं के बीच एक तथा पचास वर्ष की आयु में दस लाख दूसरी कोशिकाओं के बीच एक स्टेम सेल पाया जाता है| युगरा के डाक्टर स्टेम सेल पर चार साल से अधिक से काम कर रहे हैं| युगरा के पड़ोसी नगर खांती-मान्सीस्किए में एक निम्नताप भंडारण बनाया गया है| वहां पर स्टेम सेल को तरल नाइट्रोजन में -196 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर रखा जाता है| ज़रुरत पड़ने पर भंडारण में रखे स्टेम सेल का इस्तेमाल दस वर्ष बाद भी किया जा सकता है- ऐसा युगरा सेल टेक्नोलॉजी विज्ञान एवं शोध संस्थान के उप-निदेशक सेर्गेई पनामार्योव का कहना है| वह बताते हैं:हमारे यहाँ गर्भनाल रक्त के लगभग 150 नमूने संरक्षित हैं| यह नमूने स्वस्थ गर्भवती महिलाओं के हैं| शिशु जन्म के समय इन महिलाओं की स्वीकृति से यह नमूने हमारे बैंक में संग्रहित किये गए ताकि उनका भविष्य में इस्तेमाल किया जा सकेस्टेम कोशिकाओं को त्वचा, चर्बी या बालों से प्राप्त करना एक बहुत ही मुश्किल और महंगा काम है| इसलिए मनुष्य को गर्भनाल रक्त के रूप में प्रकृति से प्राप्त खजाने को संरक्षित रखने की आवश्यकता है| गर्भनाल रक्त स्टेम सेल प्राप्ति का उत्तम साधन होने के बावजूद भी दुर्भाग्यवश अवशेष की तरह नष्ट कर दिया जाता है| इन कोशिकाओं का प्रत्यार्पण अस्वस्थ मनुष्य के रक्त में करना ही पर्याप्त होता है, बाद में वह खुद ही तकलीफदायक जगह को ढूंढ निकालने में सक्षम हैं| यह इलाज उनके लिए शत प्रतिशत सफल सिद्ध होता है, जिनके जन्म के समय स्टेम सेल को संग्रहित किया गया होता है साथ ही उनके सगे भाईयों और बहनों के लिए भी यह उतने ही सफल परिणाम देता है| sabhar :http://hindi.ruvr.ru
शुक्रवार, 1 जुलाई 2011
वंडर ड्रग्स करेगी कैंसर को ख़त्म
वंडर ड्रग्स नामक यह गोली सभी प्रकार के कैंसर को खत्म करेगी | इसे खोजा है ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने न्यू कासल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिको ने बताया की यह सभी प्रकार क कैंसर को ठीक कर सकती है | इस गोली का कोई साएड इफेक्ट नहीं है यह गोली काफी महँगी है करीब २४०० यूरो की एक महीने की दवा का दाम पड़ेगा तथा छः महीने की दवा लेनी पड़ेगी पर बाद में धीरे धीरे इसका मूल्य कम हो जायेगा आम आदमी की पहुँच में हो जायेगा |
बुधवार, 2 फ़रवरी 2011
एड्स को रोकने वाली क्रीम की खोज
वैज्ञानिको ने एक ऐसी क्रीम की खोज की है जो एड्स की रोकथाम में कारगर होगी इस क्रीम का इस्तेमाल केवल महिलाए कर सकेंगी लेकिन यौन सम्बन्ध बनाने पर पुरूष या महिला किसी को भी एड्स है तो पार्टनर के एड्स होने का खतरा नहीं रहेगा इस क्रीम पर शोध दछिण अफ्रीका में हुआ है इस क्रीम के उत्पादन की मंजूरी दे दी गयी है और शिग्र ही बाजार में आ जाएगी हाल ही में आस्ट्रिया में हुयी इंटर नॅशनल एड्स कांफ्रेंस में इस क्रीम पर हुए शोध पर सफलता की जानकारी दी गयी इस क्रीम को अबतक सबसे कारगर तरीको में से एक है जो एड्स रोक सकती है क्रीम का निर्माण उन्ही एंटी वाइरल दवाओं के फार्मूले पर किया गया है जो एड्स होने पर दी जाती है
शुक्रवार, 24 दिसंबर 2010
टच स्क्रीन आप के कलाई पर होगा
वैज्ञानिक युग के क्या संभव हो जाएगा यह कहा नहीं जा सकता है अब टच स्क्रीन के सम्बन्ध में इक क्रांती आ गयी है जो कलाई पर होगा, वैज्ञानिको के अन्तराष्ट्रीय दल ने इस तकनीक का नाम दिया है ' स्कीन पुट' यह उपकरण ब्यक्ति के हाथ में कलाई से कोहनी तक के हिस्से को टच स्क्रीन में बदल देगा चाहे मनपसंद संगीत सुनना हो या काल मिलानी हो , ब्यक्ति को दूसरे हाथ की उंगलियों से इस हिस्से की त्वचा को छूना भर होगा यह उपकरण ध्वनिक सेंसर और मिनी प्रोजेक्टर से चलेगा इसे ब्लू ट्रुथ जैसी वायर लेस सेवा से आसानी से जोड़ा जा सकेगा इसको तकनीक के जरिए मोबाईल , कम्पूटर , आई पाड, से आसानी से जोड़ा जा सकता है
सोमवार, 29 नवंबर 2010
दुनिया का पहला सिंथेटिक पेड़
अमेरिकी वैज्ञानिको ने दुनिया का पहला सिंथेटिक पेड़ बनाया है कर्नेल स्थित एक प्रयोगशाला में इस पेड़ को ट्रांसिपिरेसन से बनाया गया ट्रांसिपिरेसन से ही नमी पेड़ो की उची शाखाओ को पहुचती है पत्रिका नेचर के अनुसार इस खोज से पेड़ पौधे में ट्रांसपिरेसन की उस पुरानी थ्योरी को बल मिलता जिसमे कहा है की यह पूरी तरह भौतिक प्रक्रिया है और इसमे किसी जैविक ऊर्जा की जरूरत नहीं होती इससे कार इमारतों के तापमान के स्थान्तरण और मिट्टी को उपजाऊ बनाने में मदद मिल सकती है इससे आंशिक तौर पर सुखी जमीन से पानी निकालने में मदद मिल सकती है
शनिवार, 20 नवंबर 2010
नयनो वाकर की खोज
अमेरिकी वैज्ञानिको ने पहली बार मनुष्य की भांति चलने वाला अणु डिजाईन किया है जिसे नयनो वाकर नाम दिया गया है नयनो वाकर के माध्यम से बहुत सी सुचनाये छोटे से चिप में एकत्र की जा सकती है वैज्ञानिको के अनुसार सूछ्म अणु के सपाट पर मनुष्य की भांति सीधा चलना अदभुत है इससे पुरे विश्व जहाँ हम रहते है की नक़ल नयनो मीटर से स्केल से उतारी जा सकती है ९, १० डि डि ऐ को जोड़ने वाले तत्व पैरो का काम करते है उष्मा मिलते यह सक्रिय होजाता है और उससे चलने फिरने की उर्जा मिलने लगती है डिडिऐ बिना नयनो रेल या नयनो ग्रुब्स के सपाट सतह पर मनुष्य की तरह चल सकता है नयनो वाकर पहली बार १००००० से अधिक कदम चला जहाँ तक डिडिऐ का प्रश्न है इसे मनुष्य की तरह चलने फिरने के लिए किसी सहारे कीजरूरत नहीं होती
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