विश्व की सबसे खतरनाक बीमारी को मात

अमेरिका के एक ऐसे व्यक्ति ने विश्व की सबसे खतरनाक बीमारी को मात देखकर चिकित्सा जगत को समर्पित कर दिया था वह दुनिया का ऐसा पहला मरीज है जिसके शरीर में एचआईवी वायरस पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं 45 वर्षीय तिमोथी रे ब्राउन के लिए इसे किस्मत की ही बात कहेंगे कि दरअसल व एड्स के अलावा एक और प्राण घातक बीमारी एक प्रकार का ब्लड कैंसर से पीड़ित थे के इलाज के लिए उनके शरीर में एक बार बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है उसी के बाद उनका एड्स भी ठीक होने लगा अब उनके शरीर में एचआईवी वायरस पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं डॉक्टरों ने इस अनोखी घटना को फंग्शनल चोर का 9995 में ब्राउन के शरीर में एचआईवी वायरस के संक्रमण के बारे में पता लगा था वह ल्यूकेमिया से जूझ रहे थे तब वह जर्मनी में रहते थे बर्लिन में 2007 में हुए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन ने उनकी जिंदगी बदल दी वैज्ञानिकों का मानना है कि उनके शरीर में जिसका बोन मैरो प्रस्तावित किया गया उसके अंदर रहे होंगे जो के जरिए पहुंच गए और वह काकेशियाई मूल का रहा होगा यूरोप स्थित काकेशिया पर्वत इसके आसपास रहने वाले लोग के माने जाते हैं होते हैं और उत्तर पश्चिम एशिया पाए जाते हैं 1 प्रतिसत लोगों के शरीर में प्रतिरोध पाए जाते हैं उनमें से एक रहा होगा का मानना है कि में यूरोप में लाखों लोगों की जान लेने वाले ग्रेटर प्लेग से बच जाने वाले लोगों में स्वतः ही एड्स से लड़ने की छमता बिकसित हो गयी थी उसके बाद यह जीन पीढ़ी दर पीढ़ी उनके सन्तानो में आ गयी एच आई वी वायरस की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के डाक्टर जे लेवि ने इसे चिक्तिसा जगत की एक उपलब्धि माना है उनका कहना है की उन एड्स प्रतिरोधी जीनो की संगरचना की पता लगाकर बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है

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