प्रेम और सेक्स
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अगर कोई पुरुष किसी स्त्री के पास जाता है और कहता है कि "मैं तेरे करीब इस कारण हूँ कि मैं प्यार करता हूँ," तो यह धोखा है। यह गलत है।
सेक्स शरीर की जरूरत है, तो यह गलत नहीं है। पर सेक्स को प्यार कहने की भूल से बचें। ईमानदार रहें। अगर सेक्स करना है, तो सामने वाले को साफ शब्दों में कहें।
और साथी से पहले, खुद को स्पष्ट कर लें कि आप प्यार में हैं या वासना में।
स्त्री फूल की तरह कोमल होती है। और फूल को रगड़कर, नोचकर, उसके शरीर पर निशान बनाकर या बाहर-भीतर घिसकर, प्यार नहीं किया जाता। स्त्री का शरीर और उसकी योनि की नसें बेहद संवेदनशील होती हैं। बहुत ज्यादा बारीक होती हैं।
आज जो महिलाएं अपनी डॉक्टर के पास जा रही हैं, उसका एक कारण यह भी है कि उनके शारीरिक संबंधों में हिंसा है। वासना के वेग के चलते, न तो पुरुष को होश रहता है और न स्त्री इतनी हिम्मत कर पाती कि पुरुष को 'न' कह सके।
और फिर बच्चेदानी में हजारों बीमारियां लग जाती हैं। मासिक धर्म में भयानक दर्द, OCD, PCOD और पता नहीं क्या-क्या सहन करना पड़ता है।
पुरुष एक्टिव है स्वभाव से और स्त्री पैसिव। इसलिए यहां पुरुष को समझना चाहिए कि पल भर की वासना के लिए किसी स्त्री का शरीर खराब न करें। वैसे भी अगर सेक्स को धैर्य और तरीके से किया जाए, और एक ठहराव हो भीतर तो उसके परिणाम दोनों व्यक्तियों के लिए सुखद होते हैं। और संतुष्टि भी मिलती है।
लेकिन जोश में आकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने वाले पुरुष, कभी भी संतुष्टि को उपलब्ध नहीं होते। जो व्यक्ति विवाहित हैं, उन्होंने अनुभव किया होगा कि सालों तक सेक्स करने पर भी उनके भीतर सेक्स की इच्छा ज्यों की त्यों है। इसका कारण यही है कि उन्होंने गहराई से कभी इस चीज को नहीं जाना।
45 मिनट से पहले तो स्त्री का शरीर खुलता ही नहीं कि वह तुम्हें अपनी बाहों में भरे, या तुम्हें अनुमति दे कि तुम उसके भीतर प्रवेश करो। इसलिए फोरप्ले का इतना महत्व है। और ठीक उसी तरह आफ्टरप्ले भी अर्थ रखता है कि तुम्हारी वजह से मैं जीवन ऊर्जा का आनंद ले पाया।
केवल पेनिट्रेशन को सेक्स समझने वाले, बलात्कारी हैं। अपने ही साथी का बलपूर्वक हरण करना, बलात्कार ही होता है। आज जो 70 फीसदी महिलाएं ऑर्गेज़्म से अनजान हैं, उसका कारण सेक्स की अज्ञानता है। इस बात को अहंकार पर चोट न समझें, बल्कि अपने आपको बेहतर बनाने का प्रयास करें। अपनी महिला मित्र के पैर छुएं, उससे अनुमति लें, उसके प्रति श्रद्धा भाव रखें, और इस बात का ध्यान रखें कि उसे दर्द न दें, आनंद दें।
भले तुम दस मिनट, आधे घंटे का सेक्स कर लो, पर स्त्री अछूती ही रह जाती है तुम्हारे स्पर्श से, और तुम भी अधूरे ही लौटकर आते हो। बहुत धीरे-धीरे शरीर तैयार होता है, बहुत धीरे-धीरे वे द्वार खुलते हैं, जब तुम्हें अनुमति मिलती है।
और यह सब समझने के लिए भीतर स्थिरता चाहिए। और बिना मेडिटेशन के यह संभव नहीं। बिना मेडिटेशन जीवन उथला ही रहता है। अगर गहराई चाहिए जीवन में, तो ध्यान बहुत जरूरी है।
होश, ठहराव, स्थिरता, धीरज, प्रेम, श्रद्धा – ये सारे शब्द केवल ध्यान करने से ही जीवन में उतरेंगे। किताबें पढ़ने या ज्ञान सुनने से कुछ नहीं होगा। साभार फेसबुक
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