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5000 सालों से खुद जल देवता करते आ रहे हैं इस शिवलिंग का अभिषेक

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मंदिर नर्मदा जिला, देडियापाडा तालुका के कोकम गांव में स्थित है। इस मंदिर को जलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि यह शिवलिंग 5000 साल पुराना है। मोसाद शहर से लगभग 14 किमी की दूरी पर स्थित महादेव का यह मंदिर पूर्वा नदी के तट पर है   भोलेनाथ की आराधाना के पावन महीने सावन की शुरुआत हो चुकी है। इसके साथ ही पूरे राज्य में हर-हर महादेव की गूंज सुनाई देनी शुरू हो गई है। इसी मौके पर आज हम आपको गुजरात के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे बहुत कम ही लोग जानते हैं। यह मंदिर नर्मदा जिला, देडियापाडा तालुका के कोकम गांव में स्थित है। इस मंदिर को जलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि यह शिवलिंग 5000 साल पुराना है। मोसाद शहर से लगभग 14 किमी की दूरी पर स्थित महादेव का यह मंदिर पूर्वा नदी के तट पर है। यह नदी पूर्व दिशा की ओर बहती है, इसीलिए इसे पूर्वा नदी के नाम से पहचाना जाता है।  यहां महादेव के मंदिर के अलावा हनुमानजी का भी एक मंदिर है। आमतौर पर हनुमानजी का मंदिर दक्षिणमुखी होता है, लेकिन यहां मंदिर पूर्वमुखी है। सूर्योदय के समय सूर...

वर्चुअल रिएलिटी फर्म ऑक्‍लस को खरीदेगा फेसबुक

डॉस और वर्ड का सोर्स कोड सार्वजनिक करेगा माइक्रोसॉफ्ट   वॉशिंगटन।  व्हाट्सऐप को 19 अरब डॉलर में खरीदने के करीब एक माह बाद ही फेसबुक ने अगले अधिग्रहण का ऐलान कर दिया है। इस बार फेसबुक वर्चुअल रियलिटी फर्म ऑक्‍लस को खरीदने जा रही है। सौदा 2 अरब डॉलर में होने वाला है। ऑक्‍लस कंपनी वर्चुअल रियलिटी गेमिंग बाजार की अग्रणी कंपनी है और हेडसेट किट 'ऑक्‍लर रिफ्ट' बनाती है। इसके लिए फेसबुक 40 करोड़ डॉलर का भुगतान नकद रूप में करेगी और बाकी 1.6 अरब डॉलर के शेयर देगी। फेसबुक के मुताबिक सोशल और कम्युनिकेशन प्लेटफॉर्म पर वर्चुअल रियलिटी बाजार अगला बड़ा बाजार बनने जा रहा है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कहा, 'मोबाइल आज का प्लेटफॉर्म है और हमें भविष्य के प्लेटफॉर्म के लिए भी तैयार रहना चाहिए। ऑक्‍लस के पास सोशल प्लेटफॉर्म पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने का मौका है। यह कंपनी हमारे काम करने, गेम खेलने और कम्युनिकेशन के तरीकों में बदलाव लाने वाली है।" फेसबुक द्वारा अधिग्रहण के बाद ऑक्‍लस का मुख्यालय कैलिफोर्निया में ही बना रहेगा। कंपनी ऑक्‍लस रिफ्ट भी बनाती रहेगी। शुरुआत में इसका मुख्य काम ग...

3डी प्रिंटर छापेगा पकवान

  बर्सिलोना स्टार्टअप नेचुरल मशीन एक ऐसा 3डी प्रिंटर का प्रोटोटाइप है जो मनचाहा डिश बना सकता है. इसे फूडिनी ने विकसित किया है. इससे चॉकलेट, कुकीज़ आदि इंस्टेंट खाद्य पदार्थ बनाया जा सकता है. तकनीकी रूप से यह प्रिंटिंग नहीं है. एक पाइप के मार्फ़त इससे कई तरह की खाने की चीज़ें बनाई जा सकती हैं. बर्सिलोना स्टार्टअप नेचुरल मशीन एक ऐसा 3डी प्रिंटर का प्रोटोटाइप है जो मनचाहा डिश बना सकता है. इसे फूडिनी ने विकसित किया है. इससे चॉकलेट, कुकीज़ आदि इंस्टेंट खाद्य पदार्थ बनाया जा सकता है. तकनीकी रूप से यह प्रिंटिंग नहीं है. एक पाइप के मार्फ़त इससे कई तरह की खाने की चीज़ें बनाई जा सकती हैं. इसमें छह अलग-अलग तत्वों के लिए हौज़ पाइप लगे होते हैं. इससे डिज़ाइन किए गए डिश का निर्माण होता है. अंतरिक्षयात्रियों को भोजन मुहैया कराने के लिए नासा भी इस तरह के प्रोटोटाइप का परीक्षण कर रहा है.सियोभान एंड्र्यूज़ ने एक ऐसा टच स्क्रीन चॉपिंग ब्लॉक बनाया है जो टुकड़ों के आकार के आधार पर आपको बता देता है कि खाने वालों की तय संख्या के लिए पर्याप्त है. इसे 'गेटइटडाउनऑनपेपर' प्रतियोगिता में पुरस्कार भी मिल च...

हल्दी और एंटीबायोटिक्स का मिश्रण कई गुना उपयोगी

  भारत के हैदराबाद विश्वविद्यालय और रूस के नोवोसिबिर्स्क राजकीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एक अंतर्राष्ट्रीय परियोजना के अंतर्गत ऐसी दवाइयां तैयार करने के काम में जुटे हुए हैं जिनके लिए हल्दी सहित अन्य पारंपरिक भारतीय मसालों का उपयोग किया जा सकता है। नोवोसिबिर्स्क राजकीय विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई एक सूचना के अनुसार, "प्रोफेसर अश्विनी नानिया के नेतृत्व में हैदराबाद विश्वविद्यालय के भारतीय वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि अगर हल्दी और एंटीबायोटिक्स को मिलाकर क्रिस्टल बनाए जाएं और आगे इन क्रिस्टलों को पीसकर दवाइयां बनाई जाएं तो ऐसी दवाइयों का असर कई गुना बढ़ जाएगा।"इस परियोजना में शामिल रूसी वैज्ञानिकों का नेतृत्व नोवोसिबिर्स्क राजकीय विश्वविद्यालय के ठोस रसायनिक विज्ञान विभाग की प्रमुख और इस विश्वविद्यालय की एक वरिष्ठ शोधकर्ता, प्रोफेसर ऐलेना बोल्दरेवा कर रही हैं। sabhar : sputanik news हल्दी और एंटीबायोटिक्स का मिश्रण कई गुना उपयोगी

आज के समय में जिम जाना प्रतिष्ठा की बात समझी जाती है। पश्चिम में यह बहुत पहले से ही हो रहा है, लेकिन भारत में जिम जाने की आदत पिछले एक दशक में लगीहै। इसमें महिलाओं की संख्या की तेजी से बढ़ रही है। भले ही भारत में महिलाएं इसके प्रति अब जाकर सजग हुई हों, लेकिन पश्चिमी देशों में यह चलन 70-80 साल पहले से ही शुरू हो गया था।

 https://www.varta.tv/2014/01/80.html आज के समय में जिम जाना प्रतिष्ठा की बात समझी जाती है। पश्चिम में यह बहुत पहले से ही हो रहा है, लेकिन भारत में जिम जाने की आदत पिछले एक दशक में लगीहै। इसमें महिलाओं की संख्या की तेजी से बढ़ रही है। भले ही भारत में महिलाएं इसके प्रति अब जाकर सजग हुई हों, लेकिन पश्चिमी देशों में यह चलन 70-80 साल पहले से ही शुरू हो गया था।

2030 तक एलियंस का पता लगा लेगा दुनिया का सबसे बड़ा दूरबीन

 लंदन. एलियंस होते हैं या नहीं, इसका पता लगाने के लिए नासा नई योजना पर काम कर रहा है। वैज्ञानिकों की योजना अंतरिक्ष में अभी तक का सबसे बड़ा दूरबीन लगाने की है, जिससे लाखों मील दूर दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाया जा सके।   खास बात यह है कि यह दूरबीन इतना बड़ा होगा कि इसे धरती से रॉकेट की मदद से नहीं ले जाया जा सकेगा, इसलिए अंतरिक्ष में ही इसे तैयार किया जाएगा। इस काम के लिए नासा जल्द ही अंतरिक्ष में लाखों मील दूर एस्ट्रोनॉट्स की एक टीम भेजना वाला है। यह प्रोजेक्‍ट 2030 तक तैयार हो सकता है।   एडवांस्ड टेक्नोलॉजी लार्ज अपर्चर स्पेस टेलिस्कोप (एटीएलएसटी) दुनिया का सबसे शक्तिशाली दूरबीन होगा। ये दूरबीन ग्रहों के वातावरण और 30 प्रकाश वर्ष दूर तक की सौर प्रणाली का विश्लेषण करने में सक्षम होगा। माना जा रहा है कि ये दूरबीन एस्ट्रोनोमर्स के लिए निर्णायक साबित होगा।   दुनिया का सबसे बड़ा दूरबीन दूरबीन के जरिए ये पता लगाना आसान होगा कि अंतरिक्ष के अनदेखे क्षेत्रों में अलौकिक जीवन मौजूद है या नहीं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ग्रहों का विश्लेषण करने में सक्षम ये...

ऐतिहासिक कत्यूरी राजवंश प्रभु श्री राम की मुख्य शाखा

  कत्यूरी शासन 2500 वर्ष पूर्व से 700 ईस्वी तक रहता है कत्यूरी राजाओं की राजधानी पहले जोशीमठ थी बाद में कार्तिकेयपुर। उस समय कहा जाता है, कि उनका साम्राज्य सिक्किम से लेकर काबुल तक था। दिल्ली रोहिलखंड आदि प्रांत में भी कत्यूरी राज्य शासन की सीमा के अंदर आते थे।  इतिहासकार अलेक्जेंडर कनिंघम ने भी इसका अपनी पुस्तक में जिक्र किया है। कत्युरी क्षेत्र ने प्रसिद्धि चंद राजाओं के काल में पाई। महाभारत में यह लिखा है, कि जब युधिष्ठिर महाराज ने अपने प्रतापी भाई भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव को विजय के लिए भेजा तो उस समय उनका युद्ध यहां पर कई जाति के क्षत्रियों से हुआ था। और वे लोग राजसूय यज्ञ में नजराना लेकर गए थे। कत्यूरी सम्राट शालिवाहन:- लगभग 3000 वर्ष पूर्व शालिवाहन नामक राजा कुमाऊँ में आए। वे कत्यूरियों के मूल पुरुष थे। पहले उनकी राजधानी जोशीमठ के आसपास थी।  राजा शालिवाहन अयोध्या के सूर्यवंशी राजपूत थे। अस्कोट जो कि वर्तमान में पिथौरागढ़ में स्थित है, खानदान के राजबार लोग, उनके वंशज है, कहते हैं कि वह अयोध्या से आए थे और कत्यूर में बसे।  कत्युरी राजा कार्तिकेयपुर से गढ़वाल का ...