पुरुष को पर्मार्थप्रश्स्त करने वाली ही महिलाओ की अहम भूमिका रही
पुरुष को पर्मार्थप्रश्स्त करने वाली ही महिलाओ की अहम भूमिका रही निष्काम भक्ति कुल परिवार समाज राष्ट्र का गौरव बनी,,, ऐसा था वेद आधारित भारतीय चरित्र पुरुषो ने भी अपनी निस्वार्थ भक्ति सदेब नारी का सम्मान व प्रेम से पुष्ट किया
कुटिल व कपटी व कुंठित मांनसीकता वाली स्त्रियो ने पुरुष समाज को दिग्भर्मित किया,,क्योंकि असुरक्षा का भाव आते ही मनुस्य नकरात्मक विचारो से घिर जाता है
तो अनीति का मार्ग चह्यन करता है
कालांतर में ऐसा हि कुछ हुआ
वर्तमान में बोल्ड और जागरूक महिलाये अब बदहजमी उतपन्न कर रही है क्योंकि वह दासी प्रथा का अंत कर रही है
पुरुष को सब कुछ मुफ़्त मिल रहा था तो वैल्यु नही हुई
क्योंकि वैल्यू उसी की मार्किट में होती है जिस प्रोडक्ट की शॉर्टेज हो,, कड़वा सत्य है इसलिए पुरुष की भावनाएं आहत हो सकती है खैर जहां स्त्री की निःस्वार्थ भावनाओं का उचित मूल्यांकन नही हुआ तो ये घटना घटित होनी ही थी पारिवारिक विकृतिकरण कुछ एक का निजी स्वार्थ भी हो सकता है संवेधानिक अधिकारों का दुरुपयोग
और पुरुष कि बनाई अर्थव्यवस्था पर स्वाधिकार समझना महिलाओ की मूर्खता के अतिरिक्त अन्य कुछ नही,,, क्योंकि कर्तव्य पूर्ति के साथ अधिकार प्राप्त होते है
गलत का विरोध खुलकर कीजिये घर है परिवार है अटवा समाज
इसलिए सजग रहे जागरूक रहीये,,
माता पिता बच्चो की परवरिश में समानता पर ध्यान दे ना कि स्त्री पुरुष भेदभाव पूर्ण प्रदूषित वातावरण
माता ही निर्माता है स्ट्री प्रकर्ति है श्रजन करती है समय आने पर दमन भि करती है
विचार को स्वतंत्र कीजिये,, ज्ञान कौशल से स्वयम को भर लीजिये
अपेक्षा समूल दुख का कारण है,,
पश्चिमीकरण हावी है इसे सहजता से स्वीकार कीजिये
क्योंकि इसका उत्तर दाई भी मानव जाति ही है उदासीनता पूर्ण जीवन,,,
क्योंकि मूर्ख शिव व शक्ति की ऊर्जा सन्तुलित करना ही नही सीख पाए
क्योंकि शिव ही अनंत शून्य की अवस्था है जो शक्ति के आगे नतमस्तक है और माया शक्ति उसके आधीन है जो स्वयं पर विजय प्राप्त कर चुका हो
ऐसे स्थिति में स्त्री स्वयम उस परमतत्व सत्य को प्राप्त करने हेतु तप करती है,, और शिव तत्व प्रतीक्षा
निराकार पुरुष व प्रकर्ति का मिलन ही साकार रूप लेकर जन्म मरण के चक्रव्यूह में उलझता है, इससे मुक्त होने हेतु
इसलिए ही मार्ग सुझाये गए,, चार ब्रह्मचर्य ,,ग्रहस्थ,, वानप्रस्थ ,,,सन्यास
धर्म - सत्यपथानुगामिनिबन निष्पक्ष न्याय नीति
अर्थ- जीविकोपार्जन हेतु सीमित संतुलित आय संसाधन
काम - बड़े सपने देखने से ही हमें बड़ी उपलब्धियां मिलती हैं। यह सुविचार हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
अंततः मोक्ष - आद्यत्मिक चिंतन ध्यान मनन जप तप साभार : ऋतु सिसोदिया Facebook wall
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें