नकरात्मकता को समाप्त करने का एक ही माद्यम है सकरात्मकता थिंक :ऋतु सिसोदिया

 नकरात्मकता को समाप्त करने का एक ही माद्यम है सकरात्मकता थिंक be positive,creat हेल्थी enviornment

क्योंकि इसके पीछे तीन मूल उद्द्देस्य ही व्यक्तिके होते है peace पावर, प्रोस्पेरिटी,,  व्यक्तिगत  तौर पर मनुस्य सुख शांति समरिद्धि  पूर्ण जीवन ही बिताना चाहता है,,इसी लालसा में जाने अनजाने अनैतिक कृत्य भी कर बैठता है,, क्योंकि वेदानुकूल जीवन शैली को हम अपनाते नही,, जो प्रकर्ति रक्षण व संरक्षण से जुड़ा है


बौद्ध,जैन और सिख धर्म वैदिक कर्मकांडो के विरोध मे बने या क्षत्रिय उन से अलग हुए हैं अन्यथा मंदिरों में महावीर, बुद्ध, सिख गुरुओं की भी पूजा होती। ये तीनों ही धर्म क्षत्रियों के हैं। आज यही राजपूत वैदिक धर्म के गुलाम है।


क्षत्रिय वह है जो समय की गति को पहचान कर उसी का स्वरूप लेले

सादगी के समय एकदम सरल किन्तु जब विन्रमता काम ना आये तो विकराल वीभत्स स्वरूप धरन कर सत्य का रक्षण करे

स्कक्ति  के विभिन्न स्वरूप है,, कुल देवी माँ महाकाली को जो हमारे भीतर ही विद्यमान है साधक बनकर साधना करने उन्हें जाग्रत कर शक्ति प्राप्तकरने के उपरांत ही क्षत्रिय युद्धभूमि में रणक्षेत्र में उतरते थे मानव कल्याण निमित्त

ईश्वर मा आदिशक्ति विकराल रूप धारणकर शत्रु का दमन कर सत्य की विजय सुनिश्चितकर देती 


बिना आद्यात्मिक्ता के मानव कल्याण सम्भव नही

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