नारी प्रत्येक काल में पूजनीय है, थी और रहेंगी :ऋतु सिसोदिया

 कुछ राक्षसी प्रवृत्ति की स्त्रियों के कारण सम्पूर्ण नारी जाति गलत नही हो जाती। जीवन का सबसे महत्वपूर्ण गृहस्थ आश्रम गलत नही हो जाता। नारी जाति के प्रति जो ट्रेंड सेट किया जा रहा है वह समाज राष्ट्रहित में नही है।


नारी प्रत्येक काल में पूजनीय है, थी और रहेंगी।

किन्तु हा पुरुष अहहकर के केंद्र में ही रहेगा तो स्मरण रखे अकड़ मुर्दे में होती है जिंदा जुका हुआ होता है क्योंकि जो झुक सकता है वही झुका सकता है


स्ट्री यदि अपने स्वाभिमान को चुनती है तो वस्य ही खिंकोइ चूक तुमसे अवश्य हुई है प्रिय पुरुषो जिससे उसके आत्मसम्मन को ठेस पहुचाई है


यदि घव तुमने दिए तो बर्न की जिम्मेदारी भी तो तुम्हारी ही होती है किंतु अफसोस तुम स्ट्री के त्याग व समर्पण का सही से मूल्यांकन ही नहि कर पाते,,,


ऐसे सांसारिक सम्बन्धो को निभाने वाली  स्तरीय सिर्फ भारतवर्ष में ही पाइ जाती है क्योंकि पुरुषय से उन्हें प्रेम व सममान से पुष्ट किया ताकि प्रकर्ति हरि भरी रहे 

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