चीनी यात्री फाहियान का यात्रा विवरण
चीनी यात्री फाहियान का यात्रा विवरण
अंतःपुर में ले जाना चाहता था पर उन लोगों ने निषेध किया। इस पर विरुद्धक
ने उन्हें मार डाला। सब की सब श्रोतापन्न हो गई थीं।
विशाखा- इसे माता विशाखा भी कहते हैं। यह प्रसेनजित के कोषाध्यक्ष पुण्यवर्द्धन की स्त्री थी। इसने बुद्धदेव के लिए एक विहार बनवाया था जिसका नाम पूर्वाराम था।
यह बड़ी दानशीला थी।
बिहार भिक्षुसंघ के रहने का स्थान। बौद्ध भिक्षुओं का मठ ।
शक्र-इंद्र वा देवराज। यह त्रयस्त्रिंश का राजा है। दे. त्रयस्त्रिंश। यह चातुर्महाराज के अंतर्गत
भी है। शाक्यमुनि गौतमबुद्ध ।
श्रमण-बौद्ध भिक्षु जिसने प्रव्रज्या ग्रहण की हो।
श्रोतापन्न—वह उपासक, श्रावक वा भिक्षु जो निर्वाण की और अभिमुखीभूत है। चार प्रकार के श्रावकों में प्रथम श्रेणी का श्रावक ।
संघाली वा संघाती-श्रमणों के तेरह व्यवहार्य्य द्रव्यों में पहला। वे तेरह द्रव्य ये हैं-- 1. संघाती 2. उत्तरा 3. अंतर्वास 4. निशादन 5. निवासन 6. प्रतिनिवासन 7. संध्यशिक्षा 8. प्रतिसंध्यशिक्षा 9. कायप्रक्षालन 10. मुखप्रक्षालन 11. केशप्रतिग्रह 12. कंडुप्रतिखंडन 13. भेषज्य-परीक्षा-चीर। संघाती वह वस्त्र है जिसे भिक्षु लोग ऊपर से जोढ़ते हैं। पहले तीन द्रव्य त्रिचीवर कहलाते हैं।
सकृग्दामी—वह श्रावक जो शीघ्र अनागामी वा अर्हत होनेवाला हो। वह श्रावकों में दूसरी श्रेणी है।
सप्तरत्न-सोना, चांदी, मरकत, हीरा, मणि, पद्मराग और स्फटिक ।
सर्वास्तिवाद-बौद्ध धर्म के चार प्रधान निकायों में से एक निकाय। इसके चार आवांतर निकाय थे। थेरवाद, वज्जिपुस्तक, महिसासक और धर्मगुप्तिक ।
साबी-अर्बी सावन। इसे अंग्रेजी में Sabian कहते हैं। अरब देशवासी।
सामनेर-बौद्ध ब्रह्मचारी जिसने प्रव्रज्या ग्रहण न की हो।
सूत्र-त्रिपिटक में पहला पिटक। इसमें सूत्रों का संग्रह है। दे. त्रिपिटक
सारिपुत्र बुद्धदेव के एक शिष्य का नाम। यह उपतिष्य ग्राम निवासी वंकत नामक ब्राह्मण का पुत्र था। बुद्धदेव का यह परम प्रिय शिष्य था। उनके जीवन काल ही में यह परिनिर्वाण प्राप्त हुआ।
सुदत्त-इसे अनाथपिंडक भी कहते थे। यह श्रावस्ती का एक धनाढ्य सेठ था। इसने श्रावस्ती
में जेतवन विहार बनवाया था। जेतवन को उसने सारी पृथिवी पर मोहर बिछाकर लिया था। भगवान बुद्धदेव उस विहार में रहते थे। यह बड़ा दानशील था। सुदान- गौतमबुद्ध किसी जन्म में सुदान वा सुदत्त नामक वैश्य हुए। थे ।
अंतःपुर में ले जाना चाहता था पर उन लोगों ने निषेध किया। इस पर विरुद्धक
ने उन्हें मार डाला। सब की सब श्रोतापन्न हो गई थीं।
विशाखा- इसे माता विशाखा भी कहते हैं। यह प्रसेनजित के कोषाध्यक्ष पुण्यवर्द्धन की स्त्री थी। इसने बुद्धदेव के लिए एक विहार बनवाया था जिसका नाम पूर्वाराम था।
यह बड़ी दानशीला थी।
बिहार भिक्षुसंघ के रहने का स्थान। बौद्ध भिक्षुओं का मठ ।
शक्र-इंद्र वा देवराज। यह त्रयस्त्रिंश का राजा है। दे. त्रयस्त्रिंश। यह चातुर्महाराज के अंतर्गत
भी है। शाक्यमुनि गौतमबुद्ध ।
श्रमण-बौद्ध भिक्षु जिसने प्रव्रज्या ग्रहण की हो।
श्रोतापन्न—वह उपासक, श्रावक वा भिक्षु जो निर्वाण की और अभिमुखीभूत है। चार प्रकार के श्रावकों में प्रथम श्रेणी का श्रावक ।
संघाली वा संघाती-श्रमणों के तेरह व्यवहार्य्य द्रव्यों में पहला। वे तेरह द्रव्य ये हैं-- 1. संघाती 2. उत्तरा 3. अंतर्वास 4. निशादन 5. निवासन 6. प्रतिनिवासन 7. संध्यशिक्षा 8. प्रतिसंध्यशिक्षा 9. कायप्रक्षालन 10. मुखप्रक्षालन 11. केशप्रतिग्रह 12. कंडुप्रतिखंडन 13. भेषज्य-परीक्षा-चीर। संघाती वह वस्त्र है जिसे भिक्षु लोग ऊपर से जोढ़ते हैं। पहले तीन द्रव्य त्रिचीवर कहलाते हैं।
सकृग्दामी—वह श्रावक जो शीघ्र अनागामी वा अर्हत होनेवाला हो। वह श्रावकों में दूसरी श्रेणी है।
सप्तरत्न-सोना, चांदी, मरकत, हीरा, मणि, पद्मराग और स्फटिक ।
सर्वास्तिवाद-बौद्ध धर्म के चार प्रधान निकायों में से एक निकाय। इसके चार आवांतर निकाय थे। थेरवाद, वज्जिपुस्तक, महिसासक और धर्मगुप्तिक ।
साबी-अर्बी सावन। इसे अंग्रेजी में Sabian कहते हैं। अरब देशवासी।
सामनेर-बौद्ध ब्रह्मचारी जिसने प्रव्रज्या ग्रहण न की हो।
सूत्र-त्रिपिटक में पहला पिटक। इसमें सूत्रों का संग्रह है। दे. त्रिपिटक ।
सारिपुत्र बुद्धदेव के एक शिष्य का नाम। यह उपतिष्य ग्राम निवासी वंकत नामक ब्राह्मण का पुत्र था। बुद्धदेव का यह परम प्रिय शिष्य था। उनके जीवन काल ही में यह परिनिर्वाण प्राप्त हुआ।
सुदत्त-इसे अनाथपिंडक भी कहते थे। यह श्रावस्ती का एक धनाढ्य सेठ था। इसने श्रावस्ती
में जेतवन विहार बनवाया था। जेतवन को उसने सारी पृथिवी पर मोहर बिछाकर लिया था। भगवान बुद्धदेव उस विहार में रहते थे। यह बड़ा दानशील था। सुदान- गौतमबुद्ध किसी जन्म में सुदान वा सुदत्त नामक वैश्य हुए। थे ।
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